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ELSS Mutual Fund: टैक्स बचाने के साथ साथ अच्छा रिटर्न पाने का शानदार तरीका

Tax Planning मनी मैनेजमेंट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जिसके तहत कोई भी व्यक्ति Income Tax में दिए हुए नियमों के अनुसार लीगल तरीके से टैक्स बचा सकता हैं| Income Tax कानून में Tax Saving से सम्बंधित 80C जैसे विभिन्न प्रकार के प्रावधान दिए गए हैं जिसका उपयोग करके आप बहुत सारा टैक्स बचा सकते हैं| ELSS इसी नियमों के तहत दिया गया एक बेहतरीन विकल्प हैं जिसके तहत आप ELSS में निवेश करके टैक्स बचाने के साथ साथ अच्छा Return भी प्राप्त कर सकते हैं| ELSS को समझने से पहले आप इन लेखों देख सकते हैं, जो आपको पैसे बचाने में मदद करेंगे:

धारा 80C (Deductions on Investment)

धारा 80C आयकर एक्ट 1961 का एक हिस्सा है जिसमें निवेश करके आयकर मे छुट प्राप्त करने से सम्बंधित प्रावधान हैं| Section 80C के अनुसार आप विभिन्न प्रकार के Investment Options जैसे ELSS, LIC, PPF, NSC, Fixed Deposit आदि में निवेश करके एक वित्त वर्ष मे अधिकतम 1.5 लाख रूपये तक का Deduction प्राप्त कर सकते हैं| इसका मतलब यह हैं कि अगर आप सेक्शन 80सी के अनुसार Invest करते हैं तो आपकी Total Taxable Income में से 1,50,000 रूपये कम कर दिए जाएंगे और बाकी की बची Income पर ही टैक्स देना होगा|

माल लो अगर Slab Rate के अनुसार आपकी Income पर 30% टैक्स लग रहा हैं और आप 80C के निवेश विकल्पों में Rs. 1,50,000 का निवेश करते हैं तो आप करीब 45000 रूपये तक का टैक्स बचा सकते हैं|

ELSS क्या है?

ELSS एक प्रकार Equity Mutual Fund हैं और इसका मतलब हैं – Equity Linked Saving Scheme | यह सेक्शन 80C के निवेश विकल्पों में से एक हैं जिसमें निवेश करके आप 1,50,000 रूपये तक का डिडक्शन प्राप्त कर सकते हैं और अच्छा खासा Tax बचा सकते हैं| ELSS Mutual fund के बारे में जानने से पहले आपको एक बार म्यूच्यूअल फण्ड के बारे में संक्षिप्त में समझ लेना चाहिए

म्यूच्यूअल फण्ड कैसे काम करते हैं:

म्यूच्यूअल फण्ड एक प्रकार की संस्था होती हैं जो Shares की तरह ही अपनी Units जारी करती हैं जिसे आप खरीद सकते हैं और इन Units को जारी करने से जो पैसा इकट्टा होता हैं उन्हें अनुभवी फण्ड मैनेजर द्वारा Mutual Fund Schemes के उद्देश्य के अनुसार Shares, Debentures, Government Bonds, Gold, Fixed Deposit आदि में निवेश किया जाता हैं और इस निवेश से जो भी Return प्राप्त होता हैं उसमें से Fund Management के खर्चों को घटाकर यूनिटहोल्डर्स में बाँट दिया जाता हैं|  म्यूच्यूअल फण्ड के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप इस लेख को देख सकते हैं: म्यूच्यूअल फण्ड बेसिक्स

ELSS को टैक्स सेविंग का सबसे बेहतर तरीका क्यों माना जाता हैं

आयकर की Section 80C में टैक्स बचाने के निवेश विकल्पों में ELSS को सबसे बेहतर तरीकों में से एक माना जाता हैं क्योंकि इसके तहत आप टैक्स बचाने के साथ साथ High Return भी प्राप्त कर सकते हैं| ELSS एक Equity Mutual Fund होता हैं इसलिए इसका ज्यादात्तर हिस्सा Share Market में कंपनियों के Equity Shares में निवेश किया जाता हैं, जिससे कि अन्य 80C निवेश विकल्पों जैसे LIC, PPF, Fixed Deposit आदि के मुकाबले ELSS में High Return प्राप्त होता हैं|

Share Market का नाम सुनते ही लोगों को पैसे डूबने का डर रहता हैं लेकिन Mutual Funds में आपका पैसा अनुभवी और प्रोफेशनल फण्ड मैनेजर द्वारा पूरी रिसर्च के अनुसार Invest किया जाता हैं जिससे Risk बहुत कम हो जाती हैं|

आज भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से Grow करने वाली Economy में से एक हैं और आपको यह जानकार हैरानी होगी कि बहुत सारे Equity Mutual Funds ने पिछले कुछ वर्षों में 20% (प्रतिवर्ष) से अधिक का Return दिया हैं|

80C निवेश विकल्पों में ELSS Mutual Fund सबसे अधिक Return देते हैं:

अगर 80C के अन्य टैक्स सेविंग निवेशों की बात करें तो जहाँ PPF 8%, NPS 9.5%, ULIPs 9.9 – 11.9%, Sunkanya Samridhhi Yojna8%, Bank FD 7-8% के आसपास Return मिलता हैं तो ELSS में आपको 15-20% के आसपास रिटर्न मिलता हैं| ELSS Mutual Funds ने औसतन पिछले पांच  वर्षों में 18.53 % का रिटर्न दिया है. इसके अलावा अन्य विकल्पों में Lock in Period भी ज्यादा होता हैं जबकि ELSS में 3 साल का लॉक इन पीरियड होता हैं यानि कि आप 3 साल तक पैसे नहीं निकाल सकते| 80C के विभिन्न विकल्पों को आप निम्न टेबल से Compare कर सकते हैं:

InvestmentReturnLock in PeriodTax on Returns
5 Years FD6% to 7%5 YearsYes
PPF7% to 8%15 yearsNo
NSC7% to 8%5 yearsYes
NPS8% to 10%Till RetirementPartially Taxable
ELSS15% to 18%3 yearsPartially Taxable

ELSS म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कैसे करें

इएलएसएस म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश के लिए आपको विभिन्न म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियों की ELSS स्कीमों को अच्छे से Compare कर लेना चाहिए और Risk, Returns, Scheme Terms & Condition के आधार पर सही निर्णय लेना चाहिए| अगर आप समझ नहीं पा रहे हैं तो किसी फाइनेंसियल एडवाइजर की मदद ले सकते हैं|

ELSS में आप Lump Sum या SIP (Systmetic Investment Plan) के द्वारा इन्वेस्ट कर सकते हैं| Lump Sum या One Time निवेश में आप एक बार में या जब चाहें तब पैसा Invest करते हैं जबकि SIP में आपका बैंक अकाउंट, ELSS Scheme से लिंक कर दिया जाता हैं और हर महीने या एक निश्चित अवधि के बाद एक निश्चित रकम आपके Bank Account से Mutual Fund में इन्वेस्ट हो जाती हैं| SIP में आप कम से कम Rs. 500 रूपये से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं| SIP के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लेख को देखें – SIP के बारे में पूरी जानकारी

Tax on ELSS Returns

ELSS में जब आप निवेश करते हैं तो आप जितना निवेश करते हैं उसके बराबर की Income (अधिकतम Rs. 150000 रूपये) पर Tax की सेविंग हो जाती हैं| जब आप कुछ वर्षों बाद ELSS को बेचते हैं और उस पर जो प्रॉफिट होता हैं, वो इनकम टैक्स में Long Term Capital Gain के तहत आता हैं|

पहले इस Equity से सम्बंधित Long Term Capital Gain पर टैक्स नहीं लगता था लेकिन इसी वर्ष (2018) से अब इसमें 10% टैक्स का प्रावधान कर दिया गया हैं| 1 लाख रूपये से अधिक के कैपिटल गेन पर आपको उस पर 10% टैक्स देना होगा|अगर आप ELSS बेचते हैं और प्रॉफिट 1 लाख रूपये से कम हैं तो कोई टैक्स नहीं लगेगा|

ELSS से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें

  1. ELSS में 3 वर्ष का लॉक इन पीरियड होता हैं और आप 3 वर्ष के बाद ही पैसे निकाल सकते हैं| इसलिए इसमें तभी निवेश करें जब आपको बीच में पैसे निकालने की जरूरत ना हो|
  2. ELSS मुख्य रूप से Growth और Dividend के विकल्प होते हैं| Growth Option में आपको कोई डिविडेंड नहीं मिलता और आपकी Units का मूल्य बढ़ता जाता हैं जबकि डिविडेंड आप्शन में जब भी Mutual Fund द्वारा डिविडेंड घोषित होता हैं तो वह आपको दे दिया जाता हैं| लॉक इन पीरियड के बीच में भी डिविडेंड मिल सकता हैं|
  3. ELSS में Returns High होते हैं लेकिन यह Market पर निर्भर करते हैं| इसमें अन्य विकल्पों की तरह Fixed Returns नहीं होते| हालांकि म्यूच्यूअल फंड्स को प्रोफेशनल फण्ड मैनेजरों द्वारा प्रबंधित किया जाता हैं, लेकिन जब मंदी का समय होता हैं या फिर शेयर मार्केट विपरीत दिशा चल रहा होता हैं तब आपके Returns प्रभावित होते हैं| इसलिए इस Risk Factor को ध्यान में रखना चाहिए|
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